Ekadashi Complete Guide to Ekadashi Vrat Mahatmya, Katha, Pooja Vidhi, Chalisa, Bhajan - Observe All Ekadashi Fasts with Devotion | एकादशी व्रत कथायें महात्म | वर्ष भर की 24 और अधिक मास की 2 - 26 एकादशियाँ | एकादशी की पूजा विधि, उद्यापन विधि, फलाहार विधि, एकादशी की आरती, एकादशी चालीसा
Sampoorn Ekadashi Mahatmya | एकादशी व्रत कथायें | kadashi Vrat Katha – एकादशी व्रत कथा एवं पूजन विधि सहित | Ekadashi Vrat Katha Book In Hindi, Ekadashi Mahatmya Book | Book Has Ekadashi Pooja Vidhi, Ekadashi Chalisa |
Ekadashi Mahatmya | Sampoorna Ekadashi | Ekadashi Vrat Katha Book In Hindi| Book Has Ekadashi Pooja Vidhi, Ekadashi Chalisa भजन एवं आरतियां सहित Ekadashi Vrat Katha | एकादशी व्रत कथायें महात्म | वर्ष भर की 24 और अधिक मास की 2 - 26 एकादशियाँ | एकादशी की पूजा विधि, उद्यापन विधि, फलाहार विधि, एकादशी की आरती, एकादशी चालीसा
एकादशी व्रत कथायें महात्म | वर्ष भर की 24 और अधिक मास की 2 - 26 एकादशियाँ | एकादशी की पूजा विधि, उद्यापन विधि, फलाहार विधि, एकादशी की आरती, एकादशी चालीसा |
एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है, जिसे हर महीने में दो बार—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है और इसे रखने से पापों का क्षय, चित्त की शुद्धि तथा मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। एकादशी का शाब्दिक अर्थ होता है “ग्यारहवाँ दिन”, जो चंद्र मास की ग्यारहवीं तिथि को सूचित करता है।
हर एकादशी का अपना विशिष्ट नाम, कथा, और महत्व होता है, जैसे – निर्जला एकादशी, जिसे साल की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी माना जाता है क्योंकि इसमें जल तक का त्याग किया जाता है। पांडव निर्वाण एकादशी
कामदा एकादशी, पुत्रदा एकादशी, पापमोचनी एकादशी, वरुथिनी एकादशी, और वैष्णव एकादशी जैसी एकादशियाँ भक्तों में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। इन व्रतों का पालन केवल उपवास के रूप में नहीं, बल्कि मानसिक, शारीरिक और आत्मिक अनुशासन के रूप में किया जाता है।
एकादशी व्रत में अन्न सेवन का त्याग अत्यंत आवश्यक माना गया है, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न में विशेष प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। भक्तजन इस दिन फलाहार करते हैं, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं, श्रीमद्भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं, और रात्रि में जागरण कर हरि नाम संकीर्तन करते हैं। एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व इस बात से भी स्पष्ट होता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में युधिष्ठिर को एकादशी के महात्म्य का विस्तार से वर्णन किया है।
यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि मन, वाणी और कर्म को शुद्ध करता है। जीवन में अनुशासन, संयम, और भक्ति की भावना जागृत करने में एकादशी व्रत की भूमिका अत्यंत प्रभावशाली है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा और नियम से एकादशी व्रत करता है, उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है और संसार के दुखों से मुक्ति मिलती है